तुम जो गए ....शहर से
तुम जो गए ....शहर से तो ले गए
हवाओं से
खुशबुओं भरी
बातें......
वो तैरती सी
किश्तियों की
मुस्कुराती
आँखे....
और दे गए
खाली कमरों में
डोलती
बुझी बुझी सी
रोशनी......
दीवारों पर
रेंगती
अकेलेपन की
चुभन.....!
आना तो देखना
किताबें चुप
लगा कर
बैठ गयीं है
और.....
ठिठक कर
रुक गयी है
सारी कहानियाँ ...................